Panipat War/पानीपत का युद्ध
पानीपत का युद्ध panipat war इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका रखता है। पानीपत के युद्ध को मुग़ल शासन का आरम्भ भी माना जाता है। इन युद्धों में कई आधुनिक हथियार भी इस्तेमाल हुए। युद्ध में मुख्य रूप से मुग़ल सेना ने भाग लिया जिसका उद्देश्य भारत को जीतकर उसे अपने अधिकार में करना था।
इन युद्धों के होने में क्या कारण शामिल थे तथा ये किन किन प्रमुख राजाओं के बीच हुए, आज आप पड़ेंगे।
पानीपत का प्रथम युद्ध – I (1526)
पानीपत का प्रथम युद्ध बाबर तथा इब्राहिम लोधी के बीच हुआ।
कारण – बाबर ने काबुल प्राप्ति के बाद भारत में भी रूचि ली तथा 1519 से 1523 के बीच उसने भारत पर चार आक्रमण किये। 1525 ई. के अंत में बाबर भारत पर आक्रमण करने के उद्देश्य से काबुल से चला। लाहौर के तत्कालीन शासक दौलत खान लोधी ने कुछ प्रारंभिक प्रतिरोध के बाद बाबर के समक्ष समर्पण कर दिया।
इब्राहिम लोधी के विरुद्ध पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर की विजय के साथ भारत में मुग़ल वंश की स्थापना हुई।
पानीपत का दूसरा युद्ध – II(1556)
पानीपत का दूसरा युद्ध अकबर तथा हेमू के बीच हुआ।
कारण – अकबर ने अपने पिता (हुमायूँ) की मृत्यु की खबर पंजाब में अफ़ग़ानों के खिलाफ युद्ध करते हुए सुनी। बैरम खान (अकबर का संरक्षक) ने तुरंत अकबर का राज्याभिषेक करवायाकिन्तु उसकी स्थिति अभी काफी नाज़ुक थी। अफ़ग़ानों ने मुग़लों से आगरा – बयाना क्षेत्र छीन लिया। उस समय दिल्ली पर हेमू का कब्ज़ा था। पानीपत के युद्ध में हेमू की आँख में तीर लगा तथा उसकी पराजय हुई।
पानीपत का तीसरा युद्ध – III (1761)
पानीपत का तीसरा युद्ध मराठा तथा अहमदशाह अब्दाली के बीच हुआ।
कारण – अहमदशाह अब्दाली ने भारत पर पांचवी बार 1759 में आक्रमण किया और इस समय उसका प्रतिरोध मुग़ल शासक नहीं बल्कि मराठा कर रहे थे। दोनों पक्षों के साथ पानीपत में 18 महीने तक लड़ाई चली जिसमे अहमदशाह अब्दाली मराठों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं से वंचित करने में सफल रहा। और मराठा पराजित हुए।
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